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रोजमर्रा के जीवन में हो रही बातों और प्राकृतिक घटनाओं से हमारी घनिष्ठता हमें उनके रहस्यों से वंचित कर देती है...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
रोजमर्रा के जीवन में हो रही बातों और प्राकृतिक घटनाओं से
हमारी घनिष्टता हमें उनके रहस्यों से वंचित कर देती है, और उन्हें हमारे
लिए महत्वहीन बना देती है। हम प्रायः उनके बारे में सोचना बंद कर देते
हैं। लेकिन अक्सर उनके भीतर आश्चर्य में डाल देने वाली कोई न कोई पहेली
छिपी रहती है, जो विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित होती है। यह
पुस्तक आसपास की घटनाओं पर आधारित उन्हीं पहेलियों की ओर हमारा ध्यान
आकर्षित करती है।
गुनगुनाती केतली
केतली में पानी उबालना ज्यादातर लोगों के लिए
रोजमर्रा का काम है। हम सब सीटी जैसी उस आवाज से परिचित हैं जो केतली को आग पर चढ़ाने के कुछ ही समय बाद शुरू हो जाती है। इसे केतली का
‘गुनगुनाना’ कहा जाता है। यह आवाज धीरे-धीरे बढ़ती है, परंतु पानी उबलना शुरू होते ही यह एकाएक बंद हो जाती है। असल में, इस आवाज के एकदम कम हो जाने से ही हमें यह पता चलता है कि पानी उबलने लगा है। क्या आपको कभी इस बात पर अचरज नहीं हुआ कि आखिर किस कारण केतली ‘गुनगुनाती’ है ?
चाय के प्याले में चम्मच
एक अनुभवी गृहिणी चीनी मिट्टी के प्याले में
गर्म चाय
उड़ेलने से पहले प्रायः उसमें एक धातु का चम्मच डाल देती है। आखिर क्यों ?
साथ ही, कौन-सा प्याला इस्तेमाल करना अधिक सुरक्षित होगा–पतली
दीवार
वाला या मोटी दीवार वाला ?
बर्फ की ट्रे को न चाटें
क्या आपने कभी बहुत ठंडी बर्फ की ट्रे को
पकड़ने की कोशिश
की है ? यदि हां तो आपने यह भी गौर किया होगा कि आपकी उंगलियां उस ट्रे से
चिपक जाती हैं। ऐसा क्यों ? बर्फ की ट्रे को आप कभी भी चाटने की कोशिश मत
करें, क्योंकि वह आपके लिए बहुत कष्टदायक अनुभव हो सकता है।
फर्मी से फ्राईंग पैन तक
इटली के प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री एनरिको फर्मी
ने एक बार
परीक्षा के दौरान एक छात्र से पूछा, ‘‘जैतून के तेल
के उबलने
का बिंदु, टीन के गलने के तापमान से ऊंचा है। अब यह बताओ कि फ्रांईंग पैन
में जैतून के तेल में भोजन पकाना कैसे संभव है ?’’
(इटली में
फ्राईंग पैन तांबे पर टीन चढ़ाकर बनाये जाते हैं)। इसका जवाब क्या है ?
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